चंदनगढ़ के राजा चंदनसिंह जिनका खजाना एक युद्ध के बाद हो गया था खाली। इधर चंदनगढ़ अपने मायके के लिए प्रस्थान किया विशालगढ़ की महारानी स्वर्णलता ने परन्तु खुराफाती बांकेलाल ने इधर भी चल दी अपनी चाल जिसकी वजह से स्वर्णलता का रथ हो गया बीच जंगल में दुर्घटनाग्रस्त और रानी और राजकुमार को उठा ले गया एक विशाल बाज। महाराज विक्रमसिंह की आज्ञा पर जब बांकेलाल निकला रानी और राजकुमार की तलाश में तो उसको मार्ग में मिले राजा चंदनसिंह। बांकेलाल ने उनके साथ की चलनी चाही अपनी चाल परन्तु तभी उन पर भी हो गया उस विशाल बाज का हमला और वो उठा ले गया चंदनसिंह और बांकेलाल को।
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