विशालगढ़ के कई गावों में पानी की कमी से पड़ गया सुखा। एकमात्र बचे कुएं से पानी का बंटवारा करने लिए भेजा गया बेचारे बांकेलाल को। पर बांकेलाल के भी मन में सूझ गई शैतानी और वो कुएं के पानी में ज़हर मिलाने चला। पर कुएं में रहने वाले जल देव ने उसे रोका और उसके बदले में बांकेलाल कुछ भी मांगने के लिए कहा। और फिर बांकेलाल ने माँगा की विशालगढ़ के सभी कुएं, तलब, नदियाँ इत्यादि सूख जाये। इधर राजा उद्यमीसिंह की आत्मा भी कर रही थी विशालगढ़ से बदला लेने का षड़यंत्र।
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